POEMS BY MANOJ KAYAL
उमड़ घुमड़ काली घटा छाई
रुत मिलन की आई
घनघोर घटाए छाई
संदेश सुहाना लायी
छम छम बरसा आई
विरह वेदना को शीतल
ठंडी फुहार बनाई
फिजा की रंगत बदल आई
हर ओर प्रेम की नदिया बह आई
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