POEMS BY MANOJ KAYAL
अहसास कुछ कमी का हो रहा है
अपनों से दूर जाने का दर्द सता रहा है
अकेले हो जाने का गम रुला रहा है
हर तरफ़ अँधेरा ही अँधेरा नजर आ रहा है
उम्मीद की लो बुझ रही रही है
क्या करू , अहसास कुछ कमी का हो रहा है
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