POEMS BY MANOJ KAYAL
तन्हा तन्हा वक्त कटे ना
सब कुछ मिथ्या मिथ्या लगे सा
बिन सपनो के नींद आवे ना
खुली आँखों से भी कुछ नजर आवे ना
मन चंचल कहना माने ना
हर अक्स में तुम्हे तलाशे सा
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