ये तो गुमनाम गलिया है
बदनाम लोगो की दुनिया है
ना कोई आशा है ना कोई नाम है
बस अंधेरे की चादर में डूबी जिन्दा लाश है
ना कोई नाता ना अपना है
तन्हाई से करीब का रिश्ता है
महफ़िल यहाँ सजती है औरो की खातिर
जिस्म जा लुट जाने की खातिर
बेबस ऐ गलिया बेचारी है
जिस्म के सौदागरों के आगे
हारी दुनिया ऐ सारी है
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