POEMS BY MANOJ KAYAL
सुहानी फिजा चली आई
चमन लगा महकने
कलिया लगी खिलने
भवरे लगे गुंजन करने
पंछी लगे चहकने
आसमा लगे विचरने
करवट लेने लगी जिन्दगी
बीज अंकुरित होने लगे नए
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