POEMS BY MANOJ KAYAL
आँख मिचोली कर दो बंद
पहेली बन इतराना कर दो बंद
शर्माना छोड़ दो अब
आ गले मिल लो अब
शरारत ओर ना करो अब
सताना अब तो कर दो बंद
चंदा के दर्शन दे दो अब
यू ना तड़पाओ अब
चहरे से घूँघट उठा दो अब
हया शर्म को छोड़ दो अब
इतरावो ओर ना अब
आन मिलो साजन अब
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