POEMS BY MANOJ KAYAL
हीरा समझ जिसे तराशा
वो पत्थर को टुकडा निकला
सोना समझ जिसे छुआ
वो पीतल का टुकडा निकला
पारखी नजर भी धोखा खा गई
जिन्दगी भर का मलाल छोड़ गई
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