POEMS BY MANOJ KAYAL
खत्म सब हो गया
साँसे थम गई
आसमा झुक गया
खुली आँखे चीत्कार उट्टी
धरती विराबान हो गई
दिल जो टूटा
सारी श्रृष्टि पल में नाश हो गई
आँखे खुली
खबाब सारे अंतर्ध्यान हो गए
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