POEMS BY MANOJ KAYAL
मद्धिम मद्धिम रोशनी
मध्यम मध्यम तारे
चंदा खेले आँख मिचोली
कभी बादलो में छुप जाय
कभी निकल आय
रात ढले धीरे धीरे
चंदा भी घर जाय
जाते जाते तारो को चाँदनी दे जाय
धीरे धीरे सूरज बन
रोशनी की नई किरण बन आय
मंद मंद गति से चले जाय
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