POEMS BY MANOJ KAYAL
लगे मन को भाने पकवान
जब शुमार हो उसमे
माँ की ममता
बहन का दुलार
पत्नी का प्यार
बेटी का साथ
तो फिर क्यो ना लगे पकवान लाजबाब
सच है की नही जनाब
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