Tuesday, August 4, 2009

शहर

ये शहर मुस्कराने लगा

फूल जिन्दगी के चुनने लगा

धुप नई खिलने लगी

फूलो में रंगत आने लगी

बात फिर जो अमन की होने लगी

सब अच्छा होने लगा

खाब सच होते दिखने लगे

अमन की हवा जो चली

मौसम बदलने लगे

ये शहर मुस्कराने लगा

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