POEMS BY MANOJ KAYAL
क्यू मिलते है बिछड़ जाने को
निगाहें तकती है रहो को
पर मंजिल नजर आती नही
मिलन की आस बुझती नही
यादे दिलो से दूर जाती नही
ऐ कौन सी बेताबी है
समझ आती नही
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