उठती थमती लहरों पे जीवन कश्ती डोल रही है
कुदरत आज एक अजबूझ पहेली लग रही है
ऐसा क्यों लागे वक़्त थाम जायें
विनाश लीला टल जायें
अपनों के संग जीने का एक मौका ओर मिल जायें
अधूरे ख्वाब पुरे करने की अभिलाषा पूर्ण हो जाय
जीवन नैया भवसागर से सागर तट किनारे लग जाय
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