RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Monday, July 20, 2009
नारी
नारी जीवन की सच्ची ये कहानी
जिसने पत्त्नी बन वंश बढाया
उसे ही दहेज़ की बेदी पर चढ़ाया
ना कोई नारी की पीड़ा समझ पाया
ना ही उसके निर्मल मन को जान पाया
नारी अगर चाहे तो अग्नि बन जाये
चाहे तो धरती में समा जाये
नारी है महान यह बात पुरुष पचा ना पाया
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