RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Sunday, July 19, 2009
मेघ
बादल गरजे बिजली चमके
मेघा रानी फिर बरसे
सावन की रिम झिम बारिस में
धरा फूलों सी महक उठे
सूर्य और मेघ के आलिंगन से
इन्द्रधनु की तोरण द्वार बने
कोयल कूके मोर नाचे
बागों में सावन के झूले पड़े
बारिस की फुहार कोई गीत नया रचे
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