घड़ी बिछुड़ने की आयी है
जैसे सूर्यास्त होने को आयी है
प्यार की रोशनी मद्धिम पड़ रही है
ज्यों दिया बाती बुझ रही है
दिल डूब रहा है
जैसे रात ढल रही है
आँखे नम हो रही है
जैसे आसमान रो रहा है
दिल तड़प रहा है
जैसे बदल गरज रहा है
मोहब्बत चीत्कार रही है
यू ज्यूँ चमन उजड़ रहा है
आज फिर एक
दास्तान ए इश्क नाकाम हो रहा है
जैसे खिलने से पहले गुलाब मुरझा रहा है
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