ये रबा इतना मुझे जरुर बता
मेरा मुकद्दर कौन से पल लिखा
हारते हारते जिन्दगी आधी गुजर गयी
मंजिल पास होकर भी दूर चली गयी
दिल को दर्द ऐसा दिया
तेरे सिवा किसी को बया ना कर सका
रोना भी अगर चाहा तो रो ना पाया
जाने कब मेरे सितारे जगमग्येंगे
जाने कब मेरे ख्वाब पुरे होगें
कर्ज के बोझ से अब मुक्ति दे दो
मेरे परिवार के लिए कुछ करने की
मुझ में शक्ति दे दो
हे भाग्य विधाता मेरी भी अरदास सुनलो
मुझको भी अपना सहारा दे दो
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