हमने साकी छोड़ दी
घरवाली ने पैमाना तोड़ दिया
यारों जिन्दगी अब कैसे गुजरेगी
जब ना साकी होगी ना पैमाना होगा
मधुशाला के बंद दरवाजे खुल रहे है
हमें अपनी आगोश में बुला रहे है
पर घर की खातिर मयखाने से तौबा करली
उस गली से गुजरना छोड़ दिया
जिधर मधुशाला के दरवाजे खुले
यारों आप मानो या ना मानो
हमने जाम छलकाना छोड़ दिया
फिर भी जुदाई के गम में
एक जाम होटों के नाम कर दिया
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