पहाड़ झरने नदियाँ सागर कल कल गीत सुनते है
पंछियों को कूहू कूहू सुर से सुर मिलाते है
मधुर संगीत लहरी को सुन
फूल भी खिलखिलाते है
इस पावन बेला को नमन करने
सूर्य उदय हो चले आते है
इस अनूठे मिलन में सप्त सुरों का राज छिपा है
प्रकृति की अनुपम घटा में जीवन राग छुपा है
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