RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Saturday, July 18, 2009
आंसू
इन सुनहरी आँखों से शबनमी आंसू यू ना बहने दो
मुस्कराते हुए जीवन से लड़ा करो
खतरों के बदल में रिमझिम बन बरसा करो
विनाश की आंधी में हिमालय बन डटे रहा करो
आनेवाले हर पल के लिए तैयार रहा करो
प्रतिकूल परिस्थिति को अनुकूल बना
सदा ग़मों मेंभी मुस्कराया करो
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment