Thursday, July 30, 2009
जीवन राग
अंहकार
लहर
दास्ताँ ऐ इश्क
घड़ी बिछुड़ने की आयी है
जैसे सूर्यास्त होने को आयी है
प्यार की रोशनी मद्धिम पड़ रही है
ज्यों दिया बाती बुझ रही है
दिल डूब रहा है
जैसे रात ढल रही है
आँखे नम हो रही है
जैसे आसमान रो रहा है
दिल तड़प रहा है
जैसे बदल गरज रहा है
मोहब्बत चीत्कार रही है
यू ज्यूँ चमन उजड़ रहा है
आज फिर एक
दास्तान ए इश्क नाकाम हो रहा है
जैसे खिलने से पहले गुलाब मुरझा रहा है
जैसे सूर्यास्त होने को आयी है
प्यार की रोशनी मद्धिम पड़ रही है
ज्यों दिया बाती बुझ रही है
दिल डूब रहा है
जैसे रात ढल रही है
आँखे नम हो रही है
जैसे आसमान रो रहा है
दिल तड़प रहा है
जैसे बदल गरज रहा है
मोहब्बत चीत्कार रही है
यू ज्यूँ चमन उजड़ रहा है
आज फिर एक
दास्तान ए इश्क नाकाम हो रहा है
जैसे खिलने से पहले गुलाब मुरझा रहा है
उदासी
ऐ दिल ये बता तू क्यों इतना उदास है
क्या खोया जो इतना बेकरार है
ऐ दिल ये बता क्यों इतना उदास है
धड़कन खोयी कहा जो तू इतना चुपचाप है
ऐ दिल ये बता क्यों इतना उदास है
रोग तुझे ये कैसा लगा जो लाइलाज है
ऐ दिल ये बता क्यों इतना उदास है
दर्द क्यों बे हिसाब है
ऐ दिल ये बता क्यों इतना उदास है
क्या खोया जो इतना बेकरार है
ऐ दिल ये बता क्यों इतना उदास है
धड़कन खोयी कहा जो तू इतना चुपचाप है
ऐ दिल ये बता क्यों इतना उदास है
रोग तुझे ये कैसा लगा जो लाइलाज है
ऐ दिल ये बता क्यों इतना उदास है
दर्द क्यों बे हिसाब है
ऐ दिल ये बता क्यों इतना उदास है
प्रियतम
दिल
निर्मल मन
नई सुबह
चल चला चल तू चल चला चल
एक नए सपने को बुनने तू
एक नयी सुबह एक नए सूर्य को
नमन कर आगे बढ तू
कर्म पथ पर चलता चल तू
कामयाबी के शिखर को छू तू
उठ आ अब शपथ ले
कदम ना कभी डगमगायेगें
मुश्किल चाहे कितनी भी आवे
हार नहीं तुम मानोगे
नया दिन फिर उदय होगा
तेरा नया भाग्य उदय होगा
ले शपथ कर तिलक
मंजिल की ओर बड़ा कदम
चल चला चल तू चल चला चल
एक नए सपने को बुनने तू
एक नयी सुबह एक नए सूर्य को
नमन कर आगे बढ तू
कर्म पथ पर चलता चल तू
कामयाबी के शिखर को छू तू
उठ आ अब शपथ ले
कदम ना कभी डगमगायेगें
मुश्किल चाहे कितनी भी आवे
हार नहीं तुम मानोगे
नया दिन फिर उदय होगा
तेरा नया भाग्य उदय होगा
ले शपथ कर तिलक
मंजिल की ओर बड़ा कदम
चल चला चल तू चल चला चल
हम तुम
तेरा इन्तजार
Monday, July 27, 2009
अनोखी चाहत
जाम
जाम जब छलकते है
आंसू बन बहते है
दिलों के अरमान जब टूटते है
मधुशाला के द्वार खुलते है
आंसुओ में गमों को छलकाने की बजाय
मधुशाला में जाम छलकाते है
गमों की दरिया में डूब
गमों की बांहों में खुद को भूल जाते है
दर्द को जीने का नशा जान
मदिरा के नशे में काल को गले लगाते है
सुन्दर नयन छलकाने फिर गम
हर दरिया किनारा तोड़
सैलाब बन छलक पड़ते है
आंसू बन बहते है
दिलों के अरमान जब टूटते है
मधुशाला के द्वार खुलते है
आंसुओ में गमों को छलकाने की बजाय
मधुशाला में जाम छलकाते है
गमों की दरिया में डूब
गमों की बांहों में खुद को भूल जाते है
दर्द को जीने का नशा जान
मदिरा के नशे में काल को गले लगाते है
सुन्दर नयन छलकाने फिर गम
हर दरिया किनारा तोड़
सैलाब बन छलक पड़ते है
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