RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Wednesday, November 13, 2024
सम्मोहन
Tuesday, October 15, 2024
पहेली
किंवदन्ती पहेलियाँ उस काफिर के दस्तखतों सी l
ख़त पैगाम कोई लुभा रही दस्तावेजों ताल्लुक़ सी ll
अख्तियार किया था बसेरा परिंदों ने बिन दस्तकों की l
इजाजत ढूँढ रही धुन उस धुन्ध बिसर जाने की ll
शून्य सी अधीर भूल भूलैया पगडण्डियों तालों की l
घूंघट आँचल ओट छुपा गयी लालिमा काजल की ll
कशिश कशमकश उधेड़बुन नयन इन बातों की l
नज़र डोरी पिरो रही अश्वगंधा वेणी साज़ों की ll
मोहलत ना थी समंदर को ठहर रुक जाने की l
रूख अकारथ बदल गया मौन कंपकंपाती साँसों की ll
किंवदन्ती पहेलियाँ उस काफिर के दस्तखतों सी l
ख़त पैगाम कोई लुभा रही दस्तावेजों ताल्लुक़ सी ll
Saturday, September 14, 2024
अश्रुधार
मुनादी थी बहुरूपिये अफवाहों अरण्य आग की l
आतिशबाजी सी जलती बुझती खुशफहमीयाँ बीमार की ll
क़ुर्बत द्वंद शील मुद्रा मंशें मंसूबे जज्बातों लहरें पैगाम की l
रूमानियत रुबाई कयास मुरीद वाकिफ इस कायनात की ll
कशमकश सुरूर तार्किक मिथ्या शुमार वहम ला इलाज की l
पन्ने अतीत के पलटती स्याह उजड़ी रातें मूसलाधार बरसात की ll
खुमार बदरंगी चादर अधूरी खामोश ख्वाबों मुलाकातों की l
साँझी सांची चाँदनी फ़िलहाल अर्ध चाँद इस उधार बेकरारी की ll
अक्षरों के मलाल अक्सर सगल संजीदा क्षितिज नैया पार की l
अफवाहों फेहरिस्त रंग बदल गयी बारिश इन टुटे अश्रुधार की ll
Monday, September 2, 2024
अल्पविराम
अश्वमेघ सा विचरण करता यह उच्छृंखल मन मयूर दर्पण नाचे मेघों साथ l
खोल जटा रुद्र हारा सा रूप त्रिनेत्र मल्हार सप्तरंगी बाण धुनों रंग जमाय ll
मृगतृष्णा परछाईं खटास की मीठी रूह सी चादर लड़कपन ओढ़ इतराय l
विभोर सागर मंथन बाँध अंजलि सी तरुणी लिखती खत बादलों को जाय ll
यादों अल्पविराम लम्हों ख्वाहिशों रक्स पूर्णविराम अंकुश रस बरसाय l
अनुमोद स्वरांजली स्याही कहानी अक्स कागज पहेली बन मुस्काय ll
पिंजर शून्य अर्पण हिम शिखर बहका मन काशी गंगा बहता जाय l
मेरु नीर दरख्तों सुगंध चाँदनी रात अकेली सी आँचल छुप शरमाय ll
आकर्षण दृष्टि खुली डोरी मन किताबों की स्वप्निल कहानी कहती जाय l
कलाई पुराने धागों सदृश्य बँधी अपराजिता कड़ी मन्नतों खुलती जाय ll
यादों अल्पविराम लम्हों ख्वाहिशों रक्स पूर्णविराम अंकुश रस बरसाय l
अनुमोद स्वरांजली स्याही कहानी अक्स कागज पहेली बन मुस्काय ll