Thursday, October 16, 2025

अकेला समय

स्पर्श स्पन्दन खामोश अधरों उलझेअधूरे अल्फाजों की l

तस्वीर एक ही उकेरती सूनी सूनी पत्थराई आँखों की ll


पैबंद लगी तुरपाई हुई काश्तकारी रूह इसके सपनों की l

बिनआँसू सुई सी चुभती सीने दिल टूटे अरमानों की ll


समय अकेला समर गहरा संबंध विच्छेद नादान सा l

कटाक्ष बाण चक्रव्यूह रण निगल गये निदान काल सा ll


मुखबिरी व्यथित बदरंग इनके रुदन शब्द आवाजों बीच l

मुनादी कोलाहल बेंध रही छाती कर्णताल ध्वनि धैर्य बीच ll


रोम रोम कर्जदार पाटों की इन बिखरी चट्टानों बीच l

लुप्त हो गयी तरुणी सागर कहीं इसके क्षितिज तीर ll 

Wednesday, September 3, 2025

वियोग

तन्हा स्याह रातों को जब खुद से बातें करता हूँ l

अश्कों तर लिहाफ़ आँचल आगोश सुला जाती हैं ll


इबादत नूर दामन जिसके कबूल की थी जो रातें l

वो विरोह वियोग काजल सी गालों को रंग जाती हैं ll


फलक से ज़मी मिश्रित साँझ की बेबस हमदम गुनाह रातें l

जन्नत फ़रिश्ते सी हरियाली दुआ बन सँवर आती हैं ll


दृष्टि ध्वनि ज़ज्बात भ्रम लहू रंग जब पाती हैँ l

खुद से ही बेगानी हो एक पहेली बन जाती हैं ll


अधूरी तलाश जाने कौन से उस अक्षर ख़लिश की l

रात अकेले नमी बन नयनों सैलाब बन बह आती हैं ll


झपकी एक खलल दे जाती हैं इन ख्यालात ताबीर को l

तृष्णा वैतरणी अंगारे लावा पिघला निंद्रा सुला जाती हैं ll

Wednesday, August 13, 2025

आघात

आघात निष्काम निःशब्द खामोशी गूँज के l

रक्त होली बहा गए सादी बैरंग किताबों के ll


छुट गये कदमों निशाँ सभी गलियों मोड़ से l

बूंदे सावन मिलने आयी थी बादलों नूर से ll


मंथन गुमशुदा अर्जियां अम्बर पहेलियाँ गूँज से l

ख्यालों रुबरु करा गयी साँसों बंदिशें रुत से ll


पल प्रतिपल बदलते अधूरे शब्दों समीकरण से l

शून्य अह्सास नीर रिस चला काजल नूर से ll


साँझ खामोश दर्द रक्त लेखनी आघात मंजर से l

थक सो गयी आँखें बंद हो पलक कटोरों से ll

Thursday, July 3, 2025

आलिंगन

विभोर स्पर्श पलकों बंद आँखों स्पन्दन राज का l

विरह ओस बूँदों सी अधखुले नयनों साँझ का ll


विशृंखल कोमल अंकुरन सांझी हृदय राह का l

व्यग्र उच्छृंखल मन ढूंढ रहा साथ माहताब का ll


कशिश एक मौन फ़रियाद सुकून आवाज का l

आलिंगन खुद के लबों सजी अल्फाजों साज का ll


बेसब्र अनमोल दीवानगी जुनून मृदंग थाप का l

थिरकती उमंगें कहानियां किंवदन्ती रूह चाँद का ll


मोती संजो रहे ख्वाब तिलस्मी स्पंदन राज का l

पुनः आलिंगन ओस बूँदों मौन नयनों साँझ का ll

Friday, June 6, 2025

मृगनयनी

उमड़ रही काली घनघोर घटाओं मझधार से l

कानाफूसी कर्णफूलों सजी बैजंती झंकार से ll


गुनाहों सी एक कंपकंपी हवाओं के रुखसार में l

बेअसर डोरी थामे रखने पतंग कमान अपनी धार में ll


मोजों कहानी तामील तमन्नाएं रह गुजरी l

सिंदूरी रंगों रंगी अर्पण लहरों अंतर्ध्यान से ll


दर्पण अर्पण बिंदी खोई अर्ध चाँद दाग में l

अंजलि तर्पण भिगोॅ गयी कायनात साथ में ll


ख्याल सवार मृगनयनी रूमानी खुमार में l

सहर दस्तक तामील हो गयी साँझ गुनाह में ll