नींद को जागते रहने की ख़ुमारी लग गयी
नयनों को जाने कौन सी बीमारी लग गयी
बोझिल पलकों को तारों संग
चाँद को निहारने की आदत लग गयी
फ़ितरत नींद की ऐसी बदल गयी
जाने इसे किसकी नज़र लग गयी
खुली शबनमी पलकों की सिफ़ारिश भी यूँही रह गयी
बिन करवटें ही आँखों में रात ढल गयी
नींद की मासूमियत तन्हाइयों में जाने कहा खो गयी
हर रात एक सदी सी
लम्बी दासताँ बन गयी
नींद को जागते रहने की ख़ुमारी लग गयी
ख़ुमारी लग गयी
नयनों को जाने कौन सी बीमारी लग गयी
बोझिल पलकों को तारों संग
चाँद को निहारने की आदत लग गयी
फ़ितरत नींद की ऐसी बदल गयी
जाने इसे किसकी नज़र लग गयी
खुली शबनमी पलकों की सिफ़ारिश भी यूँही रह गयी
बिन करवटें ही आँखों में रात ढल गयी
नींद की मासूमियत तन्हाइयों में जाने कहा खो गयी
हर रात एक सदी सी
लम्बी दासताँ बन गयी
नींद को जागते रहने की ख़ुमारी लग गयी
ख़ुमारी लग गयी
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